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Sampurna DashMahaVidya Mahayantram

Sampurna DashMahaVidya Mahayantram

Dashmahavidya Mahayantra is worshipped for the fulfillment of all desires, to become powerful, to attain all Siddhis (Supernatural powers supposed to be acquired through Yogic practice), and to attain all the fourfold Purushaarthas (Four Basic Aims of Human Existence) like Dharma, Artha, Kama and Moksha.   

In the worship of Shakti, Dashmahavidya Yantra is of great significance. As there is tradition of special worship of 10 incarnations of Vishnu in Vaishnav cult similarly the worship of 10 incarnations (Dashmahavidya) of Divine Mother (Shakti) is extremely popular especially during Navratri. In Hindu mythology, tantras, durgasaptashati, kalika puran, narad panchratra and Markandeya purana there are several popular stories about the origin of Dashmahavidya. These 10 forms of Divine mother dispel all evils. The worship of Devi is divided into two parts based on the waxing and waning of the Moon (Significator of Mother). In the Shukla Paksha (Waxing Moon) represents Durga whereas in the Krishna Paksha (Waning Moon) it represents Kali and the Dashmahavidya. It is noteworthy that among the ten forms the complete Mahvidyas are only two Kali (Saturn) and Tara (Jupiter). The three shakti is Bhairavi (Lagna), Bhuvaneshwari (Moon) and Chhinnamasta (Rahu) are called Vidya. Shodasi or Tripursundari (Mercury) is called Srividya.The remaining four shakti forms called dhumavati (Ketu), Bagalamukhi or Mangala or Hingula (Mars), Matangi (Sun) and Kamala (Venus) are called Siddh vidya.  

 This Dashmahavidya Mahayantram is worshipped by establishing the yantras of all dashmahavidyas viz, Kali, Tara, Tripurasundri, Bhuvaneshwari, Tripurabhairavi, Baglamukhi, Chhinamasta, Dhumavati, Matangi and Kamla around Sri Sri Yantram. The combined blessings of all these powers of goddess can make our life more meaningful and successful.  

How to use

Place this yantra on a wooden pedestal on a red cloth. After that do the Dhyana of Tripursundari and Dashmahavidyas. Offer flowers, water, fragrance, rice grains, incense, dhoop , betel leaves, lamp, and Naivedya or sugar.  By chanting below mentioned mantra in front of Dashmahavidya yantra one can easily acquire all fourfold Purusharthas. In addition to that recitation of individual mantras of Dashmahavidyas or Mahalaxmi and chanting of Dasmahavidya Stotra, Durgasaptashati, Durgasahastranam, Srisooktam, Laxmisooktam or Saundaryalahri can also render positive results in terms of achievement of desired objective.

Mantra :-  “ॐ महाविद्या अधिष्ठात्री देव्यै नमः” I 

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26 अगस्त 2018 आज श्रावण महीने के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि, धनिष्ठा नक्षत्र, अतिगंड योग, बव करण और दिन रविवार है । आज श्रावण पूर्णिमा, गायत्री जयंती, हयग्रीव जयंती, ऋषि तर्पण एवं रक्षाबंधन (राखी) है I आज श्रावण पूर्णिमा  और रक्षा बन्धन है रक्षाबंधन का श्रेष्ठतम मुहूर्त रक्षा बन्धन अनुष्ठान का समय = 06:02 to 17:25 Duration = 11 Hours 23 Mins रक्षा बन्धन के लिये अपराह्न का मुहूर्त = 13:41 to 16:15 Duration = 2 Hours 33 Mins आज के दिन पंचामृत (सब अलग-अलग) दूध, दही, घी, शहद, शक्कर से भगवान् शिव का अभिषेक करें उसके बाद शुद्ध जल से स्नान करायें फिर 5 अलग-अलग फल अर्पित करके 108 बार “ॐ नमः शिवाय” मन्त्र का जाप करें इससे श्रावण मॉस में किये गए रोज के अभिषेक, पूजा आदि का पूर्ण फल आपको प्राप्त होगा और भगवान् भोलेनाथ की कृपा आप पर श्रावण मास के वर्षाजल की भांति बरसेगी I आज रक्षाबंधन है, भगवान् भोलेनाथ को राखी समर्पित करें I मधुसूदन परिवार की ओर से हम ये दुआ करते हैं की आपको बताई गयी रोज की पूजा विधि से भगवान् भोलेनाथ की कृपा आने वाले अगले श्रावण मास तक आप पर बनी रहे और आपको जीवन में सुख- समृद्धि, बरकत, उत्तम स्वास्थ्य और सौभाग्य की प्राप्ति हो I ...

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आपके आज को श्रेष्ठ बनाने की पूजा विधि

15 अगस्त 2018 आज श्रावण महीने के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि, हस्त नक्षत्र, साध्य योग, बव करण और दिन बुधवार है । आज नाग पंचमी, सर्वार्थ सिद्ध योग एवं भारत स्वतंत्रता दिवस (72वां) है I आज नाग पंचमी है I आज के दिन शुद्ध आटे के नाग- नागिन बनाकर दूध, दूर्वा, कुशा, पुष्प, अक्षत (चावल), शक्कर, मीठा चढ़ाकर भगवान् शिव पर अर्पित करें और सर्पसूत्र का पाठ करें I यदि किसी कारण सर्पसूत्र का पाठ न कर सकें तो इस मन्त्र का जाप अवश्य करें I “ॐ कपिला कालियोSनन्तो वासुकिः तक्षकः तथा I पंचैतान् स्मरतो नित्यं विषबाधा न जायते” II ऐसा करने से आपके प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष शत्रुओं का नाश होगा I ...

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