त्रिपुरारी के विग्रह शिवलिंग में यूं तो शक्ति समाहित होती है परन्तु यदि धन- वैभव- ऐश्वर्य एवं शक्ति की अधिष्ठात्री मां त्रिपुर सुंदरी स्वयं अपने यंत्रराज त्रिपुर सुंदरी स्वयं अपने यंत्रराज त्रिपुर सुन्दरी यंत्र अर्थात श्रीयंत्र के साथ विराजमान हो जाए तो इस अदभुत युति को श्रीयंत्रेश्वर कहा जाता है I यदि श्रीयंत्रेश्वर का निर्माण शुद्ध स्फटिक मानी पर किया जाए तो वह अति कल्याणकारी एवं शुभ परिणामों का करक बन जाता है यदि हमारे पूर्व के किन्हीं अशुभ कर्मों की वजह से व्याप्त रिक्तता व दुर्भाग्य तमाम साधनाओं और उपायों के बावजूद हमारा पीछा नहीं छोड़ रहे हैं तो इसके लिए शिव- शक्ति युति श्रीयंत्रेश्वर उपासना अवश्य करनी चाहिए I