तामसी क्रियाओं के द्वारा साधक दूसरे के तप, तेज एवं सिद्धि का हरण करके स्वयं उनका मालिक बन सकता है I दूसरों की विद्या एवं दूसरों के धन को खींचने के लिए इस तन्त्र का प्रयोग किया जाता है I स्वयम वानर राज बाली ने इसकी सिद्धि की हुई थी I इस तन्त्र को सिद्ध करने से अपने सिद्धि एवं सफलताओं की हानि नहीं होती एवं तामसी तांत्रिकों से अपना बचाव कर सकते हैं I
मन्त्र: क्रों ह्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं हूं हूं हूं हूं स्त्रीं स्त्रीं क्लीं क्लीं हसौ: ब्लूं हूं ॐ I
इस तन्त्र का कोई दुरूपयोग न करे इसलिए इसका विस्तृत विवरण नहीं दिया जा रहा I