Poojayein

मनुष्य एवं ग्रहों का अविच्छिन्न संबंध है I पूर्व जन्म के संचित कर्म प्रारब्ध बनते हैं और प्रारब्ध का प्रतिफल हमें ग्रहों के माध्यम से दिखाई देता है I अब कुण्डली में जैसे ग्रह होंगे वैसा जीवन में शुभाशुभ फल प्राप्त होगा I जन्मकालीन ग्रहों की गति के आधार पर ही किसी व्यक्ति के जीवन को गति की प्राप्ति होती है I जन्मकुंडली में बैठे ये ग्रह भी अपनी दशाओं, महादशाओ, अंतर्दशाओं आदि में अपने फलों को प्रकट करते हैं I जन्मकुंडली में बैठा हुआ ग्रह कितना भी शुभ क्यों न हो अपनी दशा आदि के आने पर ही जागृत होकर अपने शुभ फल को प्रकट करता है जैसे धरती पर पड़ा हुआ बीज उचित मौसम या परिवेश के प्राप्त होने पर ही अंकुरित होता है इसी भाँति अशुभ ग्रह जोकि कुण्डली में सोया हुआ लगता है अपनी दशा महादशा आदि के प्राप्त होने पर अचानक जागृत होकर अपने अशुभ फलों के द्वारा जीवन को विपदा एवं घोर संकट में डाल देता है I एक श्रेष्ठतम ज्योतिषी ये पहले से ही बता देता है की अमुक ग्रह की दशा अमुक समय में शुरू होगी और उसके द्वारा ये अमुक फल प्राप्त होंगे I शास्त्रों में इस प्रकार के अशुभ ग्रहों के निवारण हेतु उनके अशुभ फलों को घटाने के लिए विपरीत दशाओं में भी जीवन के सुखद प्रवाह को बनाए रखने के लिए कुछ विधि- विधान दिए गए हैं, इसे दशा शांति विधान कहा जाता है I

इस विधान की यह भी एक विशेषता है की इस क्रिया के द्वारा शुभ ग्रहों के शुभ फलों को उनकी दशा महादशा आदि में पूर्ण रूपेण प्राप्त किया जा सकता है I कई बार किसी अन्य दोष की वजह से बहुत शुभ फल को देने वाला ग्रह भी फल को पूरी तरह से न देकर के चला जाता है जैसे पानी से भरे हुए बदल सावन के महीने में बिना बरसे चले जाते हैं I

संस्था के ज्योतिषीयों एवं कर्म काण्डियों के संयुक्त प्रयास से सम्पन्न होने वाली ये पूजा अपने आप में अदभुत फल को देने वाली है I आप जीवन में हर समय किसी न किसी महादशा, अन्तर्दशा आदि में चल ही रहे हैं अतः आज ही अविलंब इस विधान को सम्पन्न करवाकर अपने जीवन की अशुभताओं को नष्ट करें या फिर एक शुभ ग्रह प्रसन्न होने पर आपके जीवन में कितने सुख की, धन- धान्य की, उन्नति एवं ऐश्वर्य की वर्षा करता है I इसको स्वयं ही अनुभव करें I

उत्तम सदाचारी, मन्त्रविद, कर्मकाण्डी विद्वान ब्राह्मणों के द्वारा आपके कल्याण हेतु कार्यों को सिद्ध कराने वाली विशिष्ट पूजाएं अत्यन्त मनोयोग के साथ आपके दुखों को ध्यान उमें रखकर सम्पन्न कराई जाती हैं I हजारों व्यक्ति लाभान्वित हुए हैं I

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26 अगस्त 2018 आज श्रावण महीने के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि, धनिष्ठा नक्षत्र, अतिगंड योग, बव करण और दिन रविवार है । आज श्रावण पूर्णिमा, गायत्री जयंती, हयग्रीव जयंती, ऋषि तर्पण एवं रक्षाबंधन (राखी) है I आज श्रावण पूर्णिमा  और रक्षा बन्धन है रक्षाबंधन का श्रेष्ठतम मुहूर्त रक्षा बन्धन अनुष्ठान का समय = 06:02 to 17:25 Duration = 11 Hours 23 Mins रक्षा बन्धन के लिये अपराह्न का मुहूर्त = 13:41 to 16:15 Duration = 2 Hours 33 Mins आज के दिन पंचामृत (सब अलग-अलग) दूध, दही, घी, शहद, शक्कर से भगवान् शिव का अभिषेक करें उसके बाद शुद्ध जल से स्नान करायें फिर 5 अलग-अलग फल अर्पित करके 108 बार “ॐ नमः शिवाय” मन्त्र का जाप करें इससे श्रावण मॉस में किये गए रोज के अभिषेक, पूजा आदि का पूर्ण फल आपको प्राप्त होगा और भगवान् भोलेनाथ की कृपा आप पर श्रावण मास के वर्षाजल की भांति बरसेगी I आज रक्षाबंधन है, भगवान् भोलेनाथ को राखी समर्पित करें I मधुसूदन परिवार की ओर से हम ये दुआ करते हैं की आपको बताई गयी रोज की पूजा विधि से भगवान् भोलेनाथ की कृपा आने वाले अगले श्रावण मास तक आप पर बनी रहे और आपको जीवन में सुख- समृद्धि, बरकत, उत्तम स्वास्थ्य और सौभाग्य की प्राप्ति हो I ...

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आपके आज को श्रेष्ठ बनाने की पूजा विधि

15 अगस्त 2018 आज श्रावण महीने के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि, हस्त नक्षत्र, साध्य योग, बव करण और दिन बुधवार है । आज नाग पंचमी, सर्वार्थ सिद्ध योग एवं भारत स्वतंत्रता दिवस (72वां) है I आज नाग पंचमी है I आज के दिन शुद्ध आटे के नाग- नागिन बनाकर दूध, दूर्वा, कुशा, पुष्प, अक्षत (चावल), शक्कर, मीठा चढ़ाकर भगवान् शिव पर अर्पित करें और सर्पसूत्र का पाठ करें I यदि किसी कारण सर्पसूत्र का पाठ न कर सकें तो इस मन्त्र का जाप अवश्य करें I “ॐ कपिला कालियोSनन्तो वासुकिः तक्षकः तथा I पंचैतान् स्मरतो नित्यं विषबाधा न जायते” II ऐसा करने से आपके प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष शत्रुओं का नाश होगा I ...

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