गौरी, पद्मा, शची, मेधा आदि श्रेष्ठतम षोडश मातृकाओं एवं तीव्र प्रभाव वाली चौंसठ योगिनियों को समर्पित ये दिव्य पूजन जीवन को सुख- समृद्धि से परिपूर्ण करने के साथ ही नौकरी अथवा रोजगार संबंधित समस्याओं को दूर करने में, मनचाही आजीविका दिलाने में अपना अचूक प्रभाव लिए हुए है I गणेश जी को भी गोदी में खिलाने वाली, उनको पाल-पोस कर बड़ा करने वाली ये सोलह देवियाँ स्वयं में जीवन की सोलह संपदाओं जैसे निरोगी काया, आकर्षक रूप, श्रेष्ठ एवं कुलीन परिवार, सामाजिक सुप्रतिष्ठा, आय के अधिकाधिक स्रोत, राजकीय अथवा प्रशासनिक सेवा, मनोवांछित जीवनसाथी, उत्तम सन्तान आदि को देने में समर्थ हैं I आदिकाल से ही कार्य-व्यवसाय, नौकरी- पेशा प्राप्ति के लिए, राजाओं की कृपा प्राप्ति के लिए इनका पूजन किया जाता है I विप्रगण सोलह दिन तक इन मातृकाओं की तथा चौंसठ योगिनियों की विधि- विधान से पूजा करके इनके मंत्रों का जाप तथा अंत में दशांश हवन, तर्पण, मार्जन एवं अवभृथ स्नान कराते हैं इसके प्रभाव से व्यक्ति के रोजगार संबंधित ग्रह दशाएं शांत होकर शीघ्र ही उत्तम रोजगार की, नौकरी चाहने वालों को नौकरी की प्राप्ति होती है I
उत्तम सदाचारी, मन्त्रविद, कर्मकाण्डी विद्वान ब्राह्मणों के द्वारा आपके कल्याण हेतु कार्यों को सिद्ध कराने वाली विशिष्ट पूजाएं अत्यन्त मनोयोग के साथ आपके दुखों को ध्यान में रखकर सम्पन्न कराई जाती हैं I हजारों व्यक्ति लाभान्वित हुए हैं I