ग्रह दोष, शत्रु दोष एवं पितृ दोष ये तीन जीवन के महादोष कहे गए हैं I एक व्यक्ति के जीवन में इन तीनों में से किसी एक अथवा तीनों दोषों के कारण ही कष्ट, अरिष्ट अथवा पीड़ा की प्राप्ति होती है I यदि ये तीनों दोष शांत रहें अर्थात ग्रह अनुकूल चलें, प्रत्यक्ष शत्रु द्वेष न रखें, गुप्त शत्रु तांत्रिक क्रियाओं से पीड़ित न करें और प्रेत दोष आदि शांत होकर पितरों की शुभ कृपा प्राप्त हो तो व्यक्ति के जीवन में कोई दुःख नहीं हो सकता I यदि आप इन तीनों दोषों से पीड़ित हैं तो आपके लिए इस त्र्यम्बक विधान से बढ़कर दूसरा कोई उपाय नहीं है I अविलंब इस अनुष्ठान को सम्पन्न करवा कर तरह- तरह के उपायों के झंझट से बचें और अपने जीवन को शीघ्र सुखी बनाएं I इन तीनों दोषों के बदले सुख, सौभाग्य और सम्पदा की प्राप्ति करें I
उत्तम सदाचारी, मन्त्रविद, कर्मकाण्डी विद्वान ब्राह्मणों के द्वारा आपके कल्याण हेतु कार्यों को सिद्ध कराने वाली विशिष्ट पूजाएं अत्यन्त मनोयोग के साथ आपके दुखों को ध्यान में रखकर सम्पन्न कराई जाती हैं I हजारों व्यक्ति लाभान्वित हुए हैं I