पूर्व काल में विद्या प्राप्ति का सीधा सा अर्थ ज्ञान प्राप्ति से होता था, विद्वान बनना होता था, स्वयं की आत्मशांति एवं दूसरों को ज्ञानी बनाने हेतू कोई विद्वान बनता था धन कमाना मुख्य बात नहीं थी किन्तु आज समय बदल गया I आज एजुकेशन को प्रोफेशनल एजुकेशन कहा जाता है अर्थात विद्या प्राप्ति का लक्ष्य ज्ञान की प्राप्ति, सदगुणों का विकास, विनयता, परोपकार, आत्मानुभव न रहकर के मात्र हाई इनकम की प्राप्ति रह गया है I पढ़ाई वही ठीक मानी जाती है जिससे आमदनी अच्छी हो I समय ने साधनों का इतना विस्तार कर दिया है की थोड़े में गुजारा चलता नहीं और खर्चों की अधिकता ने व्यक्ति को अधिक से अधिक कमाने में मजबूर कर दिया है I इसमें किसी का कोई कसूर नहीं, समय का ही दोष है I किन्तु समस्या यहां आती है की आज आपने बच्चे का अच्छे से अच्छा करियर सलेक्ट किया, बच्चे ने पूरे जीजान से पढ़ाई भी की किन्तु 5 -7 वर्ष बाद बच्चा जब डिग्री लेकर निकला तो पता चला की समय के बदलाव ने उस पढ़ाई के ट्रेंड को या मार्किट वेल्यू को ही ख़त्म कर दिया है अब बच्चा कहां जायें, इधर से जिम्मेदारियों का बोझ सिर पर खड़ा है कमाना, नौकरी करना, अपने पैर पर खड़ा होना बहुत जरुरी हो गया है I थोड़े रुपयों से बिजनेस होता नहीं I इस प्रकार रोजगार प्राप्ति की विकट समस्या ने लाखों युवक- युवतियों को परेशान किया हुआ है I ऐसे में Madhusudan Astroworld आपके लिए पेश करते हैं रोजगार प्राप्ति विधान जिसको सम्पन्न करवाकर आप यथाशीघ्र मनचाही नौकरी प्राप्त कर सकते हैं I
सबको वृत्ति प्रदान करने वाली, सबको रोजगार प्रदान करने वाली माँ दुर्गा जी का ध्यान करके लाल चन्दन की माला से पवित्र आसन में बैठकर निम्नलिखित मंत्र की 40 दिन तक 5 माला जाप करें I
मंत्र:
या देवि सर्व भूतेशु वृत्ति रूपेण संस्थिता I
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः II
उत्तम सदाचारी, मन्त्रविद, कर्मकाण्डी विद्वान ब्राह्मणों के द्वारा आपके कल्याण हेतु कार्यों को सिद्ध कराने वाली विशिष्ट पूजाएं अत्यन्त मनोयोग के साथ आपके दुखों को ध्यान उमें रखकर सम्पन्न कराई जाती हैं I हजारों व्यक्ति लाभान्वित हुए हैं I