शास्त्र कहते हैं की जिन लोगों ने पूर्व जन्म में शुभ कर्म या पुण्य किये हैं वे आज सुख का उपभोग कर रहे हैं और जिन लोगों ने पूर्व जन्म में पाप किये हैं आज वे दुःख भोग रहे हैं अर्थात शुभ कर्मों का प्रतिफल सुख एवं पाप कर्मों का प्रतिफल दुःख होते हैं अतः मनुष्य को सदैव शुभ कर्मों में लगे रहना चाहिए I धर्मपूर्वक धन का अर्जन करिये ताकि शांति एवं संतोष प्राप्त हो I संसार के हर कर्म को प्रभु की सेवा मानकर करिये ताकि अशांति न हो I प्रभु को हाजिर- नाजीर मानकर कर्म करने से पाप एवं इसको करने की इच्छा कम होती चली जाती है I जीवन से चिंताएं, विषाद एवं अवसाद कम होते चले जाते हैं I अपने जीवन का रथी ईश्वर को बनाइये, खुद को कर्ता मानकर, अहं को पालकर अपने रथ को दुःख के अपार सागर में मत डूबोइये I
यह तो इस जीवन के लिए, आगे के लिए, आपके काल के लिए निर्देश हुआ लेकिन उन पापों, अशुभताओं, दुष्कर्मों का क्या करें ? जिनको आप अनेकों जन्मों से अज्ञान वश करते आये हैं, जिनकी वजह से आपके इस जीवन में पग- पग में बाधाएं हैं अच्छा करने के पश्चात् भी बुरा ही होता है अथाह संघर्ष, अथाह तपिश लाख कोशिश करने के बावजूद भी पीछा नहीं छोडती हैं I कभी सम्बन्धियों से परेशानी तो कभी आर्थिक पेशानी तो कभी अपनी ही औलादों से जिल्लत, खूब नियम परहेज रखने के बाद भी शरीर में रोगों की बहुलता, ये सब हमारे पापों का प्रतिफल नहीं तो और क्या है ? क्योंकि शुभाशुभ कर्मों की एक उर्जा बनती है जिसको हमें स्वयं भुगत करके ही नष्ट करनी होती है I परोपकारी मुनियों ने एवं दयालु शास्त्रों ने इस अकाट्य कष्ट का भी निवारण बताया है ताकि अनजाने में हुए अपराधों के प्रति उस दयालु ईश्वर से माफ़ी मिल जाये वे असह्य पापकर्म एवं उनके परिणाम जो दुःख अथवा कष्ट हैं वे बिना भुगते ही नष्ट हो जाएं और ऐसा संभव है भगवान विष्णु की उत्तम अनुकम्पा के द्वारा....... विधि के विधान को रचने वाले पूरे के पूरे इस संसार के सिस्टम को बनाने वाले वे श्री हरि कुछ विशेष विधानों के द्वारा प्रसन्न होकर साफ्टवेयर मे परिवर्तन करके आपके अशुभ कर्मों को बाइपास कर देते हैं और आपके जीवन में सुख उपजने लगते हैं, ऐसे उस उत्तम विधान का नाम है सहस्त्रविष्णु विधान जिसमें भगवान नारायण के सहस्त्र नामों की पूजा, उपासना एवं वंदना की जाती है I उस करूणामय ईश्वर को इस प्रकार से रिझाया जाता है ताकि वे माता पिता की तरह आपके लिए दयालु बनें I आपके वे लाखों पाप सहस्त्र सुख की तरह बरसें I दस दिन दस ब्राह्मणों के द्वारा चलने वाला ये विधान आपके जीवन के बोझ को कितना हल्का कर देता है आईये इसका अनुभव करिये I
उत्तम सदाचारी, मन्त्रविद, कर्मकाण्डी विद्वान ब्राह्मणों के द्वारा आपके कल्याण हेतु कार्यों को सिद्ध कराने वाली विशिष्ट पूजाएं अत्यन्त मनोयोग के साथ आपके दुखों को ध्यान उमें रखकर सम्पन्न कराई जाती हैं I हजारों व्यक्ति लाभान्वित हुए हैं I