हमारे भारतीय समाज में सामाजिक और धार्मिक दोनों कारणों से पुत्र की महत्ता सदैव से रही है I पुत्र की प्राप्ति के लिए यहाँ पर दंपत्ति तरह- तरह के औषधि उपचार से लेकर मन्नतें मांगने तक अनेक प्रयत्न करते हैं किन्तु अनेक बार कुण्डली में सन्तान स्थान में दोषों के प्रभाव से पुत्र प्राप्ति नहीं हो पाती I शास्त्रों में इसके लिए अनेकों विधान जैसे चंडी विधान, सन्तान-गोपाल विधान, हरिवंश पुराण आदि विधानों का वर्णन किया गया है किन्तु इन सबमें निश्चित परिणाम देने वाला पुत्रेष्टि यज्ञ विधान है I रामायण में अपने सुना होगा राजा दशरथ जी ने इसी विधान के द्वारा राम सरीखे चार पुत्रों को पाया I द्रौपदी के पिता ने धृष्ट दयुम्न को इसी यज्ञं से पाया आज भी संस्था के माध्यम से अनेकों गृहस्थियों को पुत्र लाभ हुए हैं I आप भी गुणी, योग्य एवं भाग्यशाली सन्तान (विशेषकर पुत्र) की प्राप्ति के लिए इस विधान को सम्पन्न करा कर लाभान्वित हो सकते हैं I
उत्तम सदाचारी, मन्त्रविद, कर्मकाण्डी विद्वान ब्राह्मणों के द्वारा आपके कल्याण हेतु कार्यों को सिद्ध कराने वाली विशिष्ट पूजाएं अत्यन्त मनोयोग के साथ आपके दुखों को ध्यान में रखकर सम्पन्न कराई जाती हैं I हजारों व्यक्ति लाभान्वित हुए हैं I