"ग्रहा: राज्यं प्रयच्छन्ति ग्रहा: राज्यं हरन्ति च" अर्थात आपकी जन्म कुण्डली में विराजमान हुए ग्रह गण यदि प्रसन्न हैं तो बिना परिश्रम के भी राज्य सुख दे सकते हैं और यदि प्रतिकूल हो जाएं तो सब कुछ छीन भी लेते हैं I वास्तव में मनुष्य का जीवन ग्रहों के अधीन है और आपके जीवन को इन ग्रहों की दशाओं एवं प्रतिकूलता से बचाकर राजयोग जैसे उत्तम सुखों की प्राप्ति के लिए शास्त्रों में नौ ब्राह्मणों के द्वारा नौ दिनों में सम्पादित होने वाला यह ग्रह शांति विधान बतलाया गया है I आपके और पूरे परिवार के ग्रह दोषों के शमनार्थ यह मंगल विधान रामबाण सिद्ध हो सकता है I
उत्तम सदाचारी, मन्त्रविद, कर्मकाण्डी विद्वान ब्राह्मणों के द्वारा आपके कल्याण हेतु कार्यों को सिद्ध कराने वाली विशिष्ट पूजाएं अत्यन्त मनोयोग के साथ आपके दुखों को ध्यान में रखकर सम्पन्न कराई जाती हैं I हजारों व्यक्ति लाभान्वित हुए हैं I